पूज्य बापूजी के दुर्लभ दर्शन और सुगम ज्ञान

नारायण नारायण नारायण नारायण

संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में से अनमोल सत्संग

मन में नाम तेरा रहे, मुख पे रहे सुगीत। हमको इतना दीजिए, रहे चरण में प्रीत।।

Tuesday, July 3, 2012

भगवन्नाम जप-महिमा  पुस्तक से - Bhagvannam Jap Mahima pustak se

मंत्रजाप की 15 शक्तियाँ - Mantra Jaap ki 15 Shaktiyan

भगवन्नाम में 15 विशेष शक्तियाँ हैं-

संपदा शक्तिः भगवन्नाम-जप में एक है संपदा शक्ति। लौकिक संपदा में, धन में भी कितनी शक्ति है – इससे मिठाइयाँ खरीद लो, मकान खरीद लो, दुकान खरीद लो। वस्त्र, हवाई जहाज आदि दुनिया की हर चीज धन से खरीदी जा सकती है। इस प्रकार भगवन्नाम जप में दारिद्रयनाशिनी शक्ति अर्थात् लक्ष्मीप्राप्ति शक्ति है।

भुवनपावनी शक्तिः भगवन्नाम-जप करोगे तो आप जहाँ रहोगे उस वातावरण में पवित्रता छा जायेगी। ऐसे संत वातावरण में (समाज) में जाते हैं तो पवित्रता के प्रभाव से हजारों लोग खिंचकर उनके पास आ जाते हैं। भुवनपावनी शक्ति विकसित होती है नाम-कमाई से। नाम कमाई वाले ऐसे संत जहाँ जाते हैं, जहाँ रहते हैं, यह भुवनपावनी शक्ति उस जगह को तीर्थ बना देती है, फिर चाहे कैसी भी जगह हो। यहाँ (मोटेरा में) तो पहले शराब की 40 भट्ठियाँ चलती थीं, अब वहीं आश्रम है। यह भगवन्नाम की भुवनपावनी शक्ति का प्रभाव है।

सर्वव्याधिविनाशिनी शक्तिः भगवन्नाम में रोगनाशिनी शक्ति है। आप कोई औषधि लेते हैं। उसको अगर दाहिने हाथ पर रखकर 'ॐ नमो नारायणाय' का 21 बार जप करके फिर लें तो उसमें रोगनाशिनी शक्ति का संचार होगा।
एक बार गाँधीजी बीमार पड़े। लोगों ने चिकित्सक को बुलाया। गाँधी जी ने कहा कि "मैं चलते-चलते गिर पड़ा। तुमने चिकित्सक को बुलाया इसकी अपेक्षा मेरे इर्द-गिर्द बैठकर भगवन्नाम-जपते तो मुझे विशेष फायदा होता और विशेष प्रसन्नता होती।'
मेरी माँ को यकृत (लीवर), गुर्दे (किडनी), जठरा, प्लीहा आदि की तथा  और भी कई जानलेवा बीमारियों ने घेर लिया था। उसको 86 साल की उम्र में चिकित्सकों ने कह दिया था कि 'अब एक दिन से ज्यादा नहीं निकाल सकती हैं।'
23 घंटे हो गये। मैंने अपने 7 दवाखाने सँभालने वाले वैद्य को कहाः "महिला आश्रम में माता जी हैं। तू कुछ तो कर, भाई ! " थोड़ी देर बात मुँह लटकाते आया और बोलाः अब माता जी एक घंटे से ज्यादा समय नहीं निकाल सकती हैं। नाड़ी विपरीत चल रही है।"
मैं माता जी के पास गया। हालाँकि मेरी माँ मेरी गुरु थीं, मुझे बचपन में भगवत्कथा सुनाती थीं। परंतु जब मैं गुरुकृपा पाकर 7 वर्ष की साधना के बाद गुरुआज्ञा के घर गया, तबसे माँ को मेरे प्रति आदर भाव हो गया। वे मुझे पुत्र के रूप में नहीं देखती थीं वरन् जैसे कपिल मुनि की माँ उनको भगवान के रूप में, गुरु के रूप में मानती थीं, वैसे ही मेरी माँ मुझे मानती थीं। मेरी माँ ने कहाः "प्रभु ! अब मुझे जाने दो।"
मैंने कहाः "मैं नहीं जाने दूँगा।"
उनकी श्रद्धा का मैंने सात्त्विक फायदा उठाया।
माः "मैं क्या करूँ?"
मैंने कहाः "मैं मंत्र देता हूँ आरोग्यता का।"
उनकी श्रद्धा और मंत्र भगवान का प्रभाव... माँ ने मंत्र जपना चालू किया। मैं आपको सत्य बोलता हूँ कि एक घंटे के बाद स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। फिर तो एक दिन, दो दिन... एक सप्ताह... एक महीना... ऐसा करते-करते 72 महीने तक उनका स्वास्थ्य बढ़िया रहा। कुछ खान-पान की सावधानी बरती गयी, कुछ औषध का भी उपयोग किया गया।
अमेरिका का चिकित्सक पी.सी.पटेल (एम.डी.) भी आश्चर्यचकित हो गया कि 86 वर्ष की उम्र में माँ के यकृत, गुर्दे फिर से कैसे ठीक हो गये? तो मानना पड़ेगा कि सर्वव्याधिविनाशिनी शक्ति, रोगहारिणी शक्ति मंत्रजाप में छुपी हुई है।
बंकिम बाबू (वंदे मातरम् राष्ट्रगान के रचयिता) की दाढ़ दुखती थी। ऐलौपैथीवाले थक गये। आयुर्वेदवाले भी तौबा पुकार गये... आखिर बंकिम बाबू ने कहाः 'छोड़ो।'
और वे भगवन्नाम-जप में लग गये। सर्वव्याधिविनाशिनी शक्ति का क्या अदभुत प्रभाव ! दाढ़ का दर्द कहाँ छू हो गया पता तक न चला !

सर्वदुःखहारिणी शक्तिः किसी भी प्रकार का दुःख हो भगवन्नाम जप चालू कर दो, सर्वदुःखहारिणी शक्ति उभरेगी और आपके दुःख का प्रभाव क्षीण होने लगेगा।

कलिकाल भुजंगभयनाशिनी शक्तिः कलियुग के दोषों को हरने की शक्ति भी भगवन्नाम में छुपी हुई है।
तुलसीदास जी ने कहाः
कलिजुग केवल हरि गुन गाहा।
गावत नर पावहिं भव थाहा।
कलजुग केवल नाम आधारा।
जपत नर उतरहिं सिंधु पारा।।
कलिजुग का यह दोष है कि आप अच्छाई की तरफ चलें तो कुछ-न-कुछ बुरे संस्कार डालकर, कुछ-न-कुछ बुराई करवाकर आपका पुण्यप्रभाव क्षीण कर देता है। यह उन्हीं को सताता है जो भगवन्नाम-जप में मन नहीं लगाते। केवल ऊपर-ऊपर से थोड़ी माला कर लेते हैं। परंतु जो मंत्र द्रष्टा आत्मज्ञानी गुरु से अपनी-अपनी पात्रता व उद्देश्य के अनुरूप ॐसहित वैदिक मंत्र लेकर जपते हैं, उनके अंदर कलिकाल भुजंगभयनाशिनी शक्ति प्रकट हो जाती है।

नरकोद्धारिणी शक्तिः व्यक्ति ने कैसा भी नारकीय कर्म कर लिया हो परंतु भगवन्नाम की शरण आ जाता है और अब बुरे कर्म नहीं करूँगा – ऐसा ठान लेता है तो भगवन्नाम की कमाई उसके नारकीय दुःखों का अथवा नारकीय योनियों का अंत कर देती है। अजामिल की रक्षा इसी शक्ति ने की थी। अजामिल मृत्यु की आखिरी श्वास गिन रहा था, उसे यमपाश से भगवन्नाम की शक्ति ने बचाया। अकाल मृत्यु टल गयी तथा महादुराचारी से महासदाचारी बन गये और भगवत्प्राप्ति की। 'श्रीमद् भागवत' की यह कथा जग जाहिर है।

दुःखद प्रारब्ध-विनाशिनी शक्तिः मेटत कठिन कुअंक भाल के.... भाग्य के कुअंकों को मिटाने की शक्ति है मंत्रजाप में। जो आदमी संसार से गिराया, हटाया और धिक्कारा गया है, जिसका कोई सहारा नहीं है वह भी यदि भगवन्नाम का सहारा ले तो तीन महीने के अंदर अदभुत चमत्कार होगा। जो दुत्कारने वाले और ठुकरानेवाले थे, आपके सामने देखने की भी जिनकी इच्छा नहीं थी, वे आपसे स्नेह करेंगे और आपसे ऊँचे अधिकारी भी आपसे सलाह लेकर कभी-कभी अपना काम बना लेंगे। ध्यानयोग शिविर में लोग ऐसे कई अनुभव सुनाते हैं।
गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं-
अपि चेदसि पापेभ्यः सर्वेभ्यः पापकृत्तमः।
सर्व ज्ञानप्लवेनैव वृजिनं संतरिष्यसि।।

कर्म संपूर्तिकारिणी शक्तिः कर्मों को सम्पन्न करने की शक्ति है मंत्रजाप में। आने वाले विघ्न को हटाने का मंत्र जपकर कोई कर्म करें तो कर्म सफलतापूर्वक सम्पन्न हो जाता है।
कई रामायण की कथा करने वाले, भागवत की कथा करने वाले प्रसिद्ध वक्ता तथा कथाकार जब कथा का समय देते हैं तो पंचांग देखते हैं कि यह समय कथा के लिए उपयुक्त है, यह मंडप का मुहूर्त है, यह कथा की पूर्णाहूति का समय है... मेरे जीवन में, मैं आपको क्या बताऊँ? मैं 30 वर्ष से सत्संग कर रहा हूँ, मैंने आज तक कोई पंचांग नहीं देखा। भगवन्नाम-जप कर गोता मारता हूँ और तारीख देता हूँ तो सत्संग उत्तम होता है। कभी कोई विघ्न नहीं हुआ। केवल एक बार अचानक किसी निमित्त के कारण कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। बाद में दूसरी तिथि में वहाँ सत्संग दिया। वह भी 30 वर्ष में एक-दो बार।

सर्ववेदतीर्थादिक फलदायिनी शक्तिः जो एक वेद पढ़ता है वह पुण्यात्मा माना जाता है परंतु उसके सामने यदि द्विवेदी या त्रिवेदी आ जाता है तो वह उठकर खड़ा हो जाता है और यदि चतुर्वेदी आ जाये तो त्रिवेदी भी उसके आगे नतमस्तक हो जाता है, क्योंकि वह चार वेद का ज्ञाता है। परंतु जो गुरुमंत्र जपता है उसे चार वेद पढ़ने का और सर्व तीर्थों का फल मिल जाता है। सभी वेदों का पाठ करो, तीर्थों की यात्रा करो तो जो फल होता है, उसकी अपेक्षा गुरुमंत्र जपें तो उससे भी अधिक फल देने की शक्ति मंत्र भगवान में है।

सर्व अर्थदायिनी शक्तिः जिस-जिस विषय में आपको लगना हो भगवन्नाम-जप करके उस-उस विषय में लगो तो उस-उस विषय में आपकी गति-मति को अंतरात्मा प्रेरणा प्रदान करेगा और आपको उसके रहस्य एवं सफलता मिलेगी।
हम किसी विद्यालय-महाविद्यालय अथवा संत या कथाकार के पास सत्संग करना सीखने नहीं गये। बस, गुरुजी ने कहाः 'सत्संग किया करो।' हालाँकि गुरुजी के पास बैठकर भी हम सत्संग करना नहीं सीखे। हम तो डीसा में रहते थे और गुरुजी नैनीताल में रहते थे। फिर गुरुआज्ञा में बोलने लगे तो आज करोड़ों लोग रोज सुनते हैं। कितने करोड़ सुनते हैं, वह हमें भी पता नहीं है।

जगत आनंददायिनी शक्तिः जप करोगे तो वैखरी से मध्यमा, मध्यमा से पश्यंति और पश्यंति से परा में जाओगे तो आपके हृदय में जो आनंद होगा, आप उस आनंद में गोता मारकर देखोगे तो जगत में आनंद छाने लगेगा। उसे गोता मारकर बोलोगे तो लोग आनंदित होने लगेंगे और आपके शरीर से भी आनंद के परमाणु निकलेंगे।

जगदानदायिनी शक्तिः कोई गरीब-से-गरीब है, कंगाल-से-कंगाल है, फिर भी मंत्रजाप करे तो जगदान करने के फल को पाता है। उसकी जगदानदायिनी शक्ति प्रकट होती है।

अमित गदिदायिनी शक्तिः उस गति की हम कल्पना नहीं कर सकते कि हम इतने ऊँचे हो सकते हैं। हमने घर छोड़ा और गुरु की शरण में गये तो हम कल्पना नहीं कर सकते थे कि ऐसा अनुभव होता होगा ! हमने सोचा था कि 'हमारे इष्टदेव हैं शिवजी। गुरु की शरण जायें तो वे शिवजी के दर्शन करा दें, शिवजी से बात करा दें। ऐसा करके हमने 40 दिना का अनुष्ठान किया और कुछ चमत्कार होने लगे। हम विधिपूर्वक मंत्र जपते थे। फिर अंदर से आवाज आतीः 'तुम लीलाशाह जी बापू के पास जाओ। मैं वहाँ सब रूपों में तुम्हें मिलूँगा।'
हम पूछतेः "कौन बोल रहा है?"
तो उत्तर आताः "जिसका तुम जप कर रहे हो, वही बोल रहा है।"
मंदिर में जाते तो माँ पार्वती के सिर पर से फूर गिर पड़ता, शिवजी की मूर्ति पर से फूल गिर पड़ता। यह शुभ माना जाता है। कुबेरेश्वर महादेव था नर्मदा किनारे। अनुष्ठान के दिनों में कुछ ऐसे चमत्कार होने लगते थे और अंदर से प्रेरणा होती थी कि 'जाओ, जाओ लीलाशाह बापू के पास जाओ।'
हम पहुँचे तो गुरु की कैसी-कैसी कृपा हुई... हम तो मानते थे कि इतना लाभ होगा... जैसे, कोई आदमी 10 हजार का लाभ चाहे और उसे करोड़ों-अरबों रूपये की संपत्ति मिल जाय ! ऐसे ही हमने तो शिवजी का साकार दर्शन चाहा परंतु जप ने और गुरुकृपा ने ऐसा दे दिया कि शिवजी जिससे शिवजी हैं वह परब्रह्म-परमात्मा हमसे तनिक भी दूर नहीं है और हम उससे दूर नहीं। हम तो कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि इतना लाभ होगा।
जैसे, कोई व्यक्ति जाय क्लर्क की नौकरी के लिए और उसे राष्ट्रपति बना दिया जाये तो....? कितना बड़ा आश्चर्य हो, उससे भी बड़ा आश्चर्य है यह। उससे भी बड़ी ऊँचाई है अनुभव की।
मंत्रजाप में अगतिगतिदायिनी शक्ति भी है। कोई मर गया और उसकी अवगति हो रही है और उसके कुटंबी भजनानंदी हैं अथवा उसके जो गुरु हैं, वे चाहें तो उसकी सदगति कर सकते हैं। नामजपवाले में इतनी ताकत होती है कि नरक में जानेवाले जीव को नरक से बचाकर स्वर्ग में भेज सकते हैं !

मुक्ति प्रदायिनी शक्तिः सामीप्य मुक्ति, सारूप्य मुक्ति, सायुज्य मुक्ति, सालोक्य मुक्ति – इन चारों मुक्तियों में से जितनी तुम्हारी यात्रा है वह मुक्ति आपके लिए खास आरक्षित हो जायेगी। ऐसी शक्ति है मंत्रजाप में।

भगवत्प्रीतिदायिनी शक्तिः आप जप करते जाओ, भगवान के प्रति प्रीति बनेगी, बनेगी और बनेगी। और जहाँ प्रीति बनेगी, वहाँ मन लगेगा और जहाँ मन लगेगा वहाँ आसानी से साधन होने लगेगा।
कई लोग कहते हैं कि ध्यान में मन नहीं लगता। मन नहीं लगता है क्योंकि भगवान में प्रीति नहीं है। फिर भी जप करते जाओ तो पाप कटते जायेंगे और प्रीति बढ़ती जायेगी।
हम ये इसलिए बता रहे हैं कि आप भी इसका लाभ उठाओ। जप को बढ़ाओ तथा जप गंभीरता, प्रेम तथा गहराई से करो।

2 comments:

  1. Bapuji to gyan ka bhandar h.Unke vicharo ko share krne m pura web world bhi chota pad jaye. aisha anant bhandar h bapuji k gyan ka.

    ReplyDelete
  2. Pujye babu ji ke chrno me koti-koti pranam itna vistar se samjate hai ki unki vani man ko jakjore deti hai. vastav me guru bina gyan nahi.

    ReplyDelete