पूज्य बापूजी के दुर्लभ दर्शन और सुगम ज्ञान

नारायण नारायण नारायण नारायण

संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में से अनमोल सत्संग

मन में नाम तेरा रहे, मुख पे रहे सुगीत। हमको इतना दीजिए, रहे चरण में प्रीत।।

Wednesday, February 18, 2015

सत्यमेव जयते पुस्तक से

सिलसिलेवार होते रहे भारतीय संस्कृति के आधारस्तम्भों पर प्रहार

जिन भी संतों-महापुरुषों ने संस्कृति-रक्षा एवं जन-जागृति का कार्य किया है, उनके खिलाफ षड्यंत्र रचे गये परंतु परिणाम यह हुआ कि समाज में उन संतों के प्रति सहानुभूति, आस्था और भी बढ़ी। आज भी करोड़ों मस्तक उनके आगे आदर, श्रद्धा से झुक जाते हैं।

धर्मो रक्षति रक्षितः

स्वामी विवेकानन्द

ईसाई मिशनरियों तथा उनकी कठपुतली बने प्रताप मजूमदार के आरोपः

दुश्चरित्रता, ठगी, जालसाजी, धोखेबाजी, स्त्री-लम्पटता।

परिणामः काफी समय तक उनकी जो निंदाएँ चल रही थीं, उनका प्रतिकार उनके अनुयायियों ने भारत में सार्वजनिक सभाएँ आयोजित करके किया और अंत में स्वामी विवेकानंदजी के पक्ष की ही विजय हुई। संदर्भः युगनायक विवेकानंद, ले. स्वामी गम्भीरानंद, पृष्ठ 101, 112, 121, 122

महात्मा बुद्ध

आरोपः सुंदरी नामक बौद्ध भिक्षुणी के साथ अवैध सम्बंध एवं उसकी हत्या।

परिणामः सर्वत्र घोर दुष्प्रचार हुआ। उनके शिष्यों ने सुप्रचार किया। कुछ समय बाद महात्मा बुद्ध निर्दोष साबित हुए। लोग आज भी उनका आदर-सम्मान करते हैं। संदर्भः लोक कल्याण के व्रती महात्मा बुद्ध, ले. पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, पृष्ठ 25

संत कबीर जी

आरोपः अधर्मी, शराबी, वेश्यागामी आदि।

परिणामः बादशाह सिकंदर लोधी के आदेश से कबीर जी को गिरफ्तार किया गया और कई प्रकार से सताया गया परंतु अंत में बादशाह ने माफी मांगी और शिष्य बन गया। संदर्भः कबीर दर्शन, ले. डॉ. किशोरदास स्वामी, पृष्ठ 92-96

भक्तिमती मीराबाई

आरोपः चरित्रभ्रष्टता।

परिणामः राजसत्ता द्वारा मीराबाई को तरह तरह से सताया गया। इससे लोगों की मीराबाई के प्रति सहानुभूति बढ़ती गयी। असंख्य लोग आज भी उनसे भक्ति की प्रेरणा पाते हैं।

संदर्भः भक्त चरितांक, पृष्ठ 715, प्रकाशन गीताप्रेस।

भक्त नरसिंह मेहता

आरोपः जादू के बल पर स्त्रियों को आकर्षित कर उनके साथ स्वेच्छा से विहार।

परिणामः नरसिंह मेहता जी को खूब बदनाम व प्रताड़ित किया गया परंतु वे निर्दोष साबित हुए। आज भी लाखों-करोड़ों लोग उनके भजन गाकर पवित्र होते हैं।

संदर्भः भक्त नरसिंह मेहता, पृष्ठ 129, प्रकाशन-गीताप्रेस।

सत्यमेव जयते

जिन भी संतों-महापुरुषों ने संस्कृति रक्षा व जन-जागृति का कार्य किया है, उनके खिलाफ षड्यंत्र रचे गये हैं। जगदगुरू आद्य शंकराचार्य जी का इतना कुप्रचार किया गया कि उनकी माँ के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें लकड़ियाँ तक नहीं मिल रही थीं। महात्मा बुद्ध पर बौद्ध भिक्षुणी के साथ अवैध संबंध एवं उसकी हत्या का आरोप लगाया गया। स्वामी विवेकानंदजी पर चारित्रिक आरोप लगाकर उन्हें खूब बदनाम किया गया। संत नरसिंह मेहताजी को बदनाम करने व फँसाने के लिए वेश्या को भेजा गया। संत कबीर जी पर शराबी, कबाबी, वेश्यागामी होने के घृणित आरोप लगाये गये। भक्तिमती मीराबाई पर चारित्रिक लांछन लगाये गये एवं जान से मारने के कई दुष्प्रयास हुए। संत ज्ञानेश्वर जी और उनके भाईयों व बहन को निंदकों द्वारा समाज-बहिष्कृत किया गया था। संत तुकाराम जी को बदनाम करने हेतु उन पर जादू टोना और पाखण्ड करने के झूठे आरोप लगाये गये व वेश्या भेजी गयी। इतना परेशान किया कि उन्हें अपने अभंगों की बही नदी में डालनी पड़ी और उपराम हो के 13 दिनों तक उपवास करना पड़ा।

वर्तमान में भी शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती, स्वामी नित्यानंदजी, स्वामी केशवानन्दजी, श्री कृपालु जी महाराज, संत आशाराम जी बापू, साध्वी प्रज्ञा सिंह आदि हमारे संतों को षड्यंत्र में फँसाकर झूठे आरोप लगा के गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ित किया गया, अधिकांश मीडिया द्वारा झूठे आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया परंतु जीत हमेशा सत्य की ही होती रही है और होगी।

सत्यमेव जयते। सत्य की ही विजय होती है।

इतिहास उठाकर देखें तो  पता चलेगा कि सच्चे संतों व महापुरुषों की जय-जयकार होती रही है और आगे भी होती रहेगी। दूसरी ओर निंदकों की दुर्गति होती है और समाज उन्हें घृणा की दृष्टि से ही देखता है। अतएव समझदारी इसी में है कि हम संतों का आदर करके या उनके आदर्शों को अपनाकर लाभ न ले सकें तो कम-से-कम उनकी निंदा करके या सुनके अपने पुण्य व शांति को तो नष्ट न करें।

देश विदेश के करोड़ों लोग क्यों है संत आशाराम जी बापू के दीवाने ?

हर एक व्यक्ति के शरीर से एक आभा (ओरा) निकलती है। अब विज्ञान  ने इसको मापने के लिए विशेष प्रकार के कैमरे व यंत्र विकसित कर लिये हैं। विश्वप्रसिद्ध आभा-विशेषज्ञ डॉ. हीरा लाल तापड़िया ने संसार के अनेक प्रसिद्ध व्यक्तियों की आभा जाँची परखी किंतु जब उन्होंने विश्वप्रसिद्ध संत श्री आशाराम जी बापू का आभा चित्र खींचा तो वे आश्चर्यचकित रह गये। डॉ. तापड़िया कहते हैं-

"मैंने अब तक लगभग सात लाख से ज्यादा लोगों की आभा ली है, जिनमें एक हजार विशिष्

 व्यक्ति शामिल हैं जैसे – बड़े संत, साध्वियाँ, प्रमुख व्यक्ति आदि।

संत आशाराम जी की आभा का अध्ययन कर मैंने पाया कि बापू जी की आभा में बैंगनी (वायलट) रंग है, जो यह दर्शाता है कि बापू जी आध्यात्मिकता के शिरोमणि हैं। यह सिद्ध ऋषि-मुनियों में ही पाया जाता है। लालिमा यह दर्शाती है कि बापू जी शक्तिपात करते हैं, दूसरों की क्षीणता को पूर्णतः हर लेते हैं तथा अपनी शक्ति दे देते हैं। आसमानी रंग अनंत ऊँचाइयों में रहने वाली बापू जी की आभा का परिचायक है।

बापू जी की आभा में खास है शक्ति देने की क्षमता। दूसरों की आभा में देखा कि वे दूसरों की शक्ति ग्रहण कर सकते हैं लेकिन बापू जी की आभा में यह प्रमुखता मैंने पायी कि वे सम्पर्क में आये व्यक्ति की ऋणात्मक ऊर्जा को ध्वस्त कर धनात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। बापू जी की आभा की एक खासियत यह भी है कि वे दूर से किसी को भी शक्ति दे सकते हैं। बाप जी के सत्संग में जब मैं गया था तो वहाँ जाँच करने पर मैंने देखा कि बापू जी की आभा अपने-आप रबड़ की तरह खिंचकर खूब लम्बी हो जाती है और वहाँ उपस्थित भीड़ पर छा जाती है।

बापू जी की आभा देखकर मुझे सबसे ज्यादा आश्चर्य हुआ क्योंकि लगातार पिछले कम से कम दस जन्मों से बापू जी समाजसेवा का यह पुनीत कार्य करते आ रहे हैं, जैसे-लोगों पर शक्तिपात करके उन्हें आध्यात्मिकता में लगाना, व्यसनमुक्त करना, स्वस्थ करना, समाज की बुराइयों को दूर करना, ज्ञानामृत बाँटना, आनंद बरसाना आदि। मुझे पिछले दस जन्मों तक का ही पता चल पाया, उसके पहले का पढ़ने की क्षमता मशीन में नहीं थी। बापू जी का सहस्रार चक्र, आज्ञा चक्र इतनी ऊँचाई तक विकसित हो चुके हैं कि जिसके आगे कोई परसेंटेज ही नहीं है। वे पूर्णता की पराकाष्ठा पर  पहुँचे हुए हैं। आज तक जितने भी लोगों की आभाएँ मैंने ली हैं, किसी को भी इतना उन्नत नहीं पाया है।

 (visit: https://www.youtube.com/watch?v=eirYU8vbbYk )

पूज्य बापू जी का संकल्प हुआ साकार

कुछ वर्ष पूर्व पूज्य बापू जी ने श्री नरेन्द्र मोदी को आशीर्वाद देते हुए कहा था, "हम आपको देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।"

मानव कल्याण के लिए अथक तपश्चर्या कर रहे हैं पूज्य बापू जी

"मेरा ऐसा सौभाग्य रहा है कि जीवन में जब कोई नहीं जानता था उस समय से बापू जी के आशीर्वाद मुझे मिलते रहे हैं, स्नेह मिलता रहा है। मैं मानता हूँ कि बापू के शब्दों में एक यौगिक शक्ति रहती है। उस यौगिक शक्ति के भरोसे हम करोड़ों गुजरातवासियों के सपने साकार होंगे।

पूज्य बापू जी ! आप देश और दुनिया-सर्वत्र ऋषि-परम्परा की संस्कार धरोहर को पहुँचाने के लिए अथक तपश्चर्या कर रहे हैं। मानव-कल्याण के इस तपश्चर्या-यज्ञ में आप अपने पल-पल की आहुति देते रहे हैं। उसमें से जो संस्कार की दिव्य ज्योति प्रकट हुई है, उसके प्रकाश में मैं और जनता-सब चलते रहें। मैं संतों के आशीर्वाद स ही जी रहा हूँ। पूज्य बापू जी ने आशीर्वाद दिया इसलिए मैं बापू जी का ऋणी हूँ।"

श्री नरेन्द्र मोदी, तत्कालीन मुख्यमंत्री, गुजरात, वर्तमान प्रधानमंत्री।

"हमारे सबके आस्था व विश्वास के केन्द्र परम पूज्य बापू जी के देशभर में तथा दुनिया के दूसरे देशों में जो प्रवचन चलते हैं, उनके द्वारा अध्यात्म की प्रेरणा हम सबको मिलती रहती है। मैं उनके चरणों में शीश झुकाकर उन्हें हृदय की गहराइयों से प्रणाम करता हूँ।"

श्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा, वर्तमान केन्द्रीय गृहमंत्री।

पूज्य बापू जी जागरण का शंखनाद कर रहे हैं

"देशभर की परिक्रमा करते हुए जन-जन के मन में अच्छे संस्कार जगाना, यह एक ऐसा परम राष्ट्रीय कर्तव्य है, जिसने हमारे देश को आज तक जीवित रखा है और इसके बल पर हम उज्जवल भविष्य का सपना देख रहे हैं... उस सपने को साकार करने की शक्ति भक्ति एकत्र कर रहे हैं पूज्य बापू जी। बापू जी सारे देश में भ्रमण करके जागरण का शंखनाद कर रहे हैं, संस्कार दे रहे हैं तथा अच्छे और बुरे में भेद करना सिखा रहे हैं।"

श्री अटल बिहारी वाजपेयी, तत्कालीन प्रधानमंत्री।

दूध का दूध पानी का पानी

पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू और श्री नारायण साँईं जी पर सूरत की जिन दो सगी बहनों को मोहरा बनाकर बलात्कार और यौन-शोषण का आरोप लगवाया गया है उनकी एफ आई आर ही उनके झूठ और उनके साथ मिले हुए षड्यंत्रकारियों की सुनियोजित साजिश की पोल खोल देती है। आइये, नजर डालें एफ आई आर में लिखे हुए कुछ पहलुओं परः

छोटी बहन को आश्रम में आने से क्यों नहीं रोका ?

बड़ी बहन का कहना है कि 'उसके साथ सन् 2001 में तथाकथित घटना घटी थी।' 2002 में उसकी छोटी बहन आश्रम में रहने के लिए आयी थी। अगर किसी लड़की के साथ कहीं बलात्कार हुआ हो तो क्या वह चाहेगी कि उसकी छोटी बहन भी ऐसी जगह पर रहने आये ? कदापि नहीं। सवाल उठता है कि इसने अपनी छोटी  बहन को आश्रम में आने से मना क्यों नहीं किया ?

क्या ऐसा सम्भव है ?

कोई भी स्त्री बलात्कार करने वाले पुरुष से घृणा करने लगती है, उससे दूर जाने का  प्रयास करती है, भले ही पुलिस में शिकायत न की हो। लेकिन यहाँ तो इस महिला (बड़ी बहन) का बापू जी के प्रति बर्ताव हमेशा अच्छा ही रहा था। लड़की आश्रम की वक्ता बनी, प्रवचन किये, मंच पर से हजारों भक्तों के सामने बापू जी के गुणगान करती रही। यदि उसके साथ दुष्कर्म होता तो क्या ऐसा सम्भव है?

क्या कोई अपने साथ दुष्कर्म करने वाले के प्रति इतनी निष्ठा व पूज्यभाव रख सकता है ?

गाँववालों से तफतीश करने पर पता चला कि दोनों लड़कियाँ आश्रम छोड़ने के बाद भी सत्संग में जाती थीं। और तो और 2013 में बारडोली (गुजरात) में छोटी बहन नारायण साँईं जी के दर्शन करने आयी थी और उसके फोटोग्राफ एवं विडियो भी अदालत में प्रस्तुत किये गये हैं, जिसमें स्पष्ट दिख रहा है कि पति पत्नी दोनों बड़े श्रद्धाभाव से साँईं जी के दर्शन कर रहे हैं।

कैसे बेतुके और हास्यास्पद आरोप !

छोटी बहन ने आरोप लगाया है कि 2002 में सूरत में बापू जी की कुटिया में नारायण साँईं जी ने उनके साथ दुष्कर्म किया। उसके बाद वह घर चली गयी और फिर दूसरे ही दिन साँईं जी के हिम्मतनगर स्थित महिला आश्रम में चली गयी। सोचने वाली बात है कि एक दिन उसके साथ दुष्कर्म हुआ और वह घर चली गयी और दूसरे दिन वह अपने घर जैसी सुरक्षित जगह को छोड़कर उनके आश्रम चली गयी और 2 साल तक बड़ी श्रद्धा-निष्ठा, समर्पणभाव से बतौर संचालिका वहाँ रही।

छोटी बहन के अनुसार 2004 में वह आश्रम से घर चली गयी थी और 2010 में उसकी शादी हो गयी। तब भी उसने माँ बाप को सा कुछ नहीं बताया और 1 अक्तूबर 2013 को ही उसने पहली बार पति को बताया और 6 अक्तूबर 2013 को एफ आई आर दर्ज की गयी। यह कैसे सम्भव है कि पीड़ित महिला 11 वर्षों तक अपने किसी सगे-संबंधी को अपनी व्यथा न बताये।

धाक-धमकी के आरोप झूठे

दोनों बहनों ने एफ आई आर में लिखवाया है कि "हम उनके धाक और प्रभाव के कारण किसी को कह नहीं पाते थे, आज तक किसी को नहीं कहा।" 2008 में गुजरात के समाचार पत्रों में सरकार ने छपवाया था कि आश्रम द्वारा कोई भी पीड़ित व्यक्ति अगर शिकायत करे तो पुलिस उसके घर जाकर उसकी शिकायत दर्ज करेगी और उसका नाम भी गोपनीय रखा जायेगा। ऐसा होने पर भी ये बहने सामने क्यों नहीं आयीं ? अचम्भे की बात है कि बापू जी का तथाकथित धाक होने के बावजूद भी दोनों बहनों को आश्रम से जाने के 6-7 साल बाद, आज तक भी किसी प्रकार की कोई भी धमकी या नुकसान नहीं पहुँचा, उनके साथ सम्पर्क भी नहीं किया गया। जबकि बलात्कार करने वाला व्यक्ति, जिसके देश-विदेश में करोड़ों जानने-मानने वाले हों, उसे तो सतत यह डर होना चाहिए कि 'कहीं यह बाहर जाकर मेरी पोल न खोल दे।' इसके विपरीत बापू जी और नारायण साँईं को तो ऐसा कोई डर कभी था ही नहीं क्योंकि ऐसा दुष्कर्म हुआ ही नहीं।

इतने सारे झूठ अपने-आपमें काफी हैं किसी भी प्रबुद्ध व्यक्ति को सच्चाई समझने के लिए। क्योंकि जो सच बोलता है या  लिखता है उससे ऐसी गलतियाँ कभी नहीं हो सकतीं। लेकिन जब मनगढंत और झूठी कहानी पेश करनी होती है तो वहाँ कौन मौजूद था, कौन नहीं, क्या हुआ ? इसमें अक्सर गलतियाँ हो जाती हैं। अतः मेरी सभी देशवासियों से अपील है कि वे अपने स्वविवेक का उपयोग करके सत्य को देखें, न कि मीडिया के चश्मे से।

वरिष्ठ पत्रकार श्री अरूण रामतीर्थकर

Visit: https://www.youtube.com/watch?v=ph80RJD3kZQ

जोधपुर एफ आई आर की हकीकत

लड़की ने एफ आई आर में कपोलकल्पित घटना बताते हुए कहा कि जब बापू जी ने उसे कमरे में बुलाया, तब उसकी माँ कमरे के बाहर बैठी हुई थी। लड़की से कहलवाया गया कि डेढ़ घंटे तक उसके साथ छेड़खानी हुई। वह चिल्लाने लगी तो उसका मुँह दबाकर बंद कर दिया गया। बाद में उसे माता-पिता को कुछ भी बताने पर जान से मारने की धमकी दी गयी। लड़की आगे कहती है कि डेढ़ घंटे बाद वह कमरे से बाहर आयी तो घबरायी हुई थी। माँ के साथ कुटिया के कम्पाउँड के बाहर ही जो साधक का घर है, उसमें चली गयी। उसने अपने माता-पिता को कुछ नहीं बताया और सो गयी।

जोधपुर के पास स्थित मणई कुटिया के शांत वातावरण में जहाँ एक सिक्के के गिरने की आवाज भी कई फीट तक जाती है, वहाँ कमरे के बाहर नजदीक ही बैठी माँ को लड़की के चिल्लाने की आवाज सुनाई क्यों नहीं दी ? अगर कमरा व लाइट भी बंद थी तो ऐसी स्थिति में डेढ़ घंटे वहीं बाहर बैठी माँ ने दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया ? अथवा बाहर जो तथाकथित लड़के खड़े कर दिये गये थे, उनसे क्यों नहीं पूछा ? डेढ़ घंटे तक जिसका यौन शोषण हुआ हो, ऐसी लड़की जब माँ के सामने आती है तब क्या माँ को उसकी हालत देखकर मन में आशंका नहीं होगी ? ऐसा होने पर कोई लड़की चुपचाप कैसे सो सकती है ? फिर सुबह किसान के बच्चों के साथ खेली व खुशी-खुशी 200 रूपये भी दे गयी। डेढ़ घंटे तक अगर उसका मुँह दबाया रहता, वह विरोध करती रहती तो क्या उसके शरीर पर कहीं भी कोई निशान नहीं होता ?

मेडिकल जाँच रिपोर्ट में लिखा गया है कि लड़की का रेप बिल्कुल नहीं हुआ, लड़की के शरीर पर खरोंच तक नहीं आयी। उसके साथ कोई भी यौन-शोषण तथा शारीरिक शोषण भी नहीं हुआ है।

दुष्कर्म नहीं हुआ यह बात लड़की स्वयं भी बोलती है। फिर भी 'दुष्कर्म है, दुष्कर्म है....' –ऐसा बिकाऊ मीडिया का दुष्प्रचार कितना घिनौना है ! राजनीति कितनी घिनौनी है ! साजिशकर्ताओं की, धर्मांतरणवालों की साजिश कितनी घिनौनी है ! कोई भी आसानी से समझ सकता है कि साजिश है, राजनीति है, मनगढंत कहानी है। Watch: http://goo.gl/7wo3gc

देश में यौन-उत्पीड़न के झूठे मामलों की बाढ़- न्यायालय

देश में यौन-उत्पीड़न के झूठे मामलों की गम्भीर अवदशा को देखते हुए दिल्ली के सत्र न्यायाधीश वीरेन्द्र भट्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में झूठे दुष्कर्म से जुड़े एक मामले में आरोपी को बरी करते हुए कहाः"दिल्ली में चलती बस में रेप की घटना के बाद ऐसा माहौल बन गया है कि यदि कोई महिला बयान दे देती है कि उसके साथ रेप हुआ है तो उसे ही अंतिम सत्य मान लिया जाता है और कथित आरोपी को गिरफ्तार कर उसके खिलाप आरोप पत्र दाखिल कर दिया जाता है। इसके चलते देश में यौन-उत्पीड़न के झूठे मामलों की बाढ़ सी आ गयी है, अपराध के आँकड़े बढ़ रहे हैं।"

आँकड़े बताते हैं कि 2012 में 46 प्रतिशत दोषमुक्त हुए लेकिन 2013 के शुरुआती 8 महीनों में ही यह आँकड़ा 75 प्रतिशत पर जा पहुँचा। विशेषज्ञों का मानना है कि संशोधित कानून 'अस्पष्ट' होने के कारण उसका गलत रूप से इस्तेमाल हो रहा है। एक सीनियर प्रासीक्यूटर ने कहाः 'दोषमुक्त होने के 90 प्रतिशत मामलों में तथाकथित पीड़िताएँ और आरोपी व्यक्ति के बीच आपसी दुश्मनी जैसी बातें सामने आयी हैं।"

कानून की रहम का आजकल तथाकथित पीड़िताएँ बेहद नाजायज फायदा उठा रही हैं। वे न्यायालय की ओर से भयमुक्त होने के कारण निर्दोष लोगों पर बिना सिर-पैर के लांछन लगाने

में तनिक भी नहीं हिचकिचाती हैं। अब देखना यह है कि सरकार इन तीव्र गति से बढ़ते झूठे

बलात्कार के मामलों की रोकथाम के लिए कौन से कदम उठाती है।

 आरोप लगाने वाली लड़की निकली बालिग

संत श्री आशारामजी बापू पर आरोप लगाने वाली लड़की के बालिग होने का प्रमाण शाहजहाँपुर (उ.प्र.) के श्री शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ से प्राप्त हुआ है। विद्यापीठ के प्राचार्य ने 6 फरवरी को पुलिस को दिये पत्र में लड़की की जन्मतिथि 6 अगस्त 1995 है। इसके अनुसार आरोप के अन्तर्गत कहे गये दिन लड़की बालिग थी। जोधपुर पुलिस ने शाहजहाँपुर पहुँचकर प्रमाणपत्रों की जाँच की, जिसके अनुसार लड़की की उम्र ज्यादा निकली। फिर भी कानून का दुरुपयोग करके पॉक्सो सहित कई धाराएँ लगायी गयी हैं।

संदर्भः दैनिक जागरण इत्यादि।

जरा सोचिये ऐसा क्यों ?

लड़की उत्तर प्रदेश की, पढ़ रही थी मध्य प्रदेश में और तथाकथित घटना जोधपुर (राज.) की बता रही है तो फिर एफ आई आर 5 दिन के अंतराल के बाद दिल्ली के कमला मार्केट थाने में रात को 2-45 बजे क्यों दर्ज करायी ?

जब गुजरात उच्च न्यायालय ने गैर-जमानती वॉरेन्ट रद्द करते हुए कहाः नारायण साँईं को भगौड़ा कहना गलत है तो क्यों न्यायालय के निर्णय से पहले ही उन्हें पेशेवर अपराधी की तरह पेश कर लोगों को गुमराह किया गया ?

जब नारायण साँईं जी ने मीडिया के सामने कहा कि 'लड़की के साथ रेप नहीं हुआ है।' तथा उनके वकील ने भी पुलिस की बात का खंडन किया तो फिर क्यों झूठा दुष्प्रचार किया गया कि 'नारायण साँईं ने आरोप स्वीकार कर लिया है ?'

आरोप लगाने वाली सूरत (गुजरात) की बड़ी बहन कहती है कि '2001 में उसके साथ बलात्कार होने के बाद उसे आश्रम से भागने का अवसर नहीं मिला।' यह कैसे सम्भव है क्योंकि वह स्वयं यह भी कहती है कि 2001 से 2007 के बीच वह प्रवचन करने हेतु विभिन्न राज्यों के कई शहरों में जाती रहती थी। यहाँ तक कि अपने पिता के घर भी कई बार गयी।

तांत्रिक विधि व अन्य आरोप, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज किया था उन्हीं को कुछ मीडिया द्वारा मिर्च मसाला लगाकर फिर से क्यों पेश किया गया ?

मेरा अनुभव

"मैं नकल मारकर पास होता था। युवावस्था में मैं कई न कहने योग्य दुर्गुणों, व्यसनों में फँस गया था। पूज्य बापू जी से मंत्रदीक्षा लेने के बाद मुझे उन सभी दुर्गुणों से मुक्ति मिल गयी। मेरी स्मरणशक्ति इतनी तीव्र हो गयी कि आइ ए एस की कठिन परीक्षा में मैं उत्तीर्ण हो गया।"

राकेश चौधरी, असिस्टेंट कलेक्टर(प), दिल्ली।

"मैं अनेक देशों में घूमा हूँ लेकिन जो प्रेम और शांति मैंने पूज्य बापू जी के दिव्य सान्निध्य में पायी है वह मुझे दुनिया में कहीं नहीं मिली।"

James W. Higgins,  South Wells, UK

Visit: http://youtu.be/rr2wOPUcMdg

"पूज्य बापू जी से प्राप्त सारस्वत्य मंत्र और गुरुमंत्र का ही प्रभाव है कि मुझे 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार', 'नाट्य गौरव पुरस्कार' तथा रियालिटी शो में 10 लाख रूपये का पुरस्कार प्राप्त हुआ। मैं 8000 से अधिक शो कर चुकी हूँ।"

अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त जादूगर आँचल, उदयपुर (राज.)

लड़की की कहानी विश्वास करने योग्य नहीं है।

"केस झूठा है, लड़की को कुछ नहीं हुआ। यह असम्भव है कि उस कमरे में लड़की को कुछ हुआ हो। जैसा की लड़की दावा कर रही है, जब उस रात 3 लड़के कमरे के बाहर बैठे थे और लड़की की माँ भी बैठी थी, उसी समय डेढ़ घंटे तक घटना घटी और माँ आयी थी अपनी बेटी के साथ, यह देखने के लिए क्या हो रहा है और उसने कुछ नहीं सुना ! यह कैसे सम्भव है ?"

सुप्रसिद्ध वरिष्ठ न्यायविद् श्री राम जेठमलानी

Visit: http://goo.gl/SKHxLG

आप किस पर विश्वास करोगे ?

मैंने बापू जी के केस का पूरी तरह से अध्ययन किया है और कुछ डॉक्टरों से भी परामर्श लिया है जो इस तरह की मेडिकल रिपोर्ट बनाते हैं। उन्होंने कहाः 'स्वामी जी ! मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर हम 100 प्रतिशत कह सकते हैं कि न तो रेप हुआ है और न ही रेप का प्रयास हुआ है और यह यौन-शोषण का भी केस नहीं है क्योंकि किसी भी नाबालिग की त्वचा बहुत ही कोमल होती है, अगर कोई उत्पीड़न होता या छेड़खानी होती तो उसके निशान रहते।'

कोई महिला आती है और कहती है कि '11-12 साल पहले कुछ घटना हुई थी।' आप उस पर विश्वास करोगे या फिर उस व्यक्ति पर जिसने अपना पूरा जीवन विश्व के कल्याण में लगा दिया ?" –महामंडलेश्वर स्वामी श्री नित्यानंदजी महाराज

महानिर्वाण  अखाड़ा (Visit- http://youtu.be/G6YKw70yWPc )

"12 साल के बाद एफ आई आर दर्ज होती है और पुलिस हँसते-हँसते दर्ज कर लेती है। पूज्य बापू जी पर लगे सारे आरोप गलत हैं और गलत आरोप कानून की प्रक्रिया द्वारा ही साबित होंगे कि ये गलत हैं। वह दिन दूर नहीं जब बापू देदीप्यमान सूर्य की तरह निर्दोष हमारे बीच होंगे।" -   श्री बी. एम. गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता।

"पूज्य बापू जी सभी का हर तरह से भला ही सोचते हैं, किसी का बुरा नहीं सोचते।" – संत बाबा हरपाल सिंह जी, प्रमुख रतवाड़ा साहिब गुरुद्वारा।

"संत श्री आशाराम जी बापू सिर्फ भारत की नहीं, सम्पूर्ण विश्व की धरोहर हैं। उनकी रक्षा करिये, प्राचीन सभ्यता की रक्षा करिये। जब मेडिकल रिपोर्ट से कुछ नहीं प्रकट हुआ तो यह साफ है कि यह आशाराम जी बापू के विरूद्ध बहुत बड़ा षडयन्त्र है।" – डॉ. विष्णु हरि।

नेपाल संसद में विदेशी नीति मसौदा समिति के सदस्य, जापान में नेपाल के भूतपूर्व राजदूत

आखिर क्या है सच्चाई ?

आरोप लगाने वाली लड़की की सहेली ने बताया कि "मैंने उससे पूछा कि तूने बापू जी के ऊपर झूठा आरोप क्यों लगाया ? तो उसने बोलाः मेरे से जैसा बुलवाते हैं, वैसा मैं बोलती हूँ।" (Visit-http://www.goo.gl/5imhwn