पूज्य बापूजी के दुर्लभ दर्शन और सुगम ज्ञान

नारायण नारायण नारायण नारायण

संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में से अनमोल सत्संग

मन में नाम तेरा रहे, मुख पे रहे सुगीत। हमको इतना दीजिए, रहे चरण में प्रीत।।

Sunday, July 22, 2012


क्या करें, न करें ?  पुस्तक से - Kya karen, Kya na Karen ?  pustak se

अन्य उपयोगी बातें - Anya upyogi baaten

आरती के समय कपूर जलाने का विधान है। घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दुःस्वप्न नहीं आते और देवदोष तथा पितृदोषों का शमन होता है।

कपूर मसलकर घर में (खासकर कर ध्यान-भजन की जगह पर) थोड़ा छिड़काल कर देना भी हितावह है।

दीपज्योति अपने से पूर्व या उत्तर की ओर प्रगटानी चाहिए। ज्योति की संख्या 1,3,5 या 7 होनी चाहिए।

दिन में नौ बार की हुई किसी भी वक्तवाली प्रार्थना अंतर्यामी तक पहुँच ही जाती है।

सूर्य से आरोग्य की, अग्नि से श्री की, शिव से ज्ञान की, विष्णु से मोक्ष की, दुर्गा आदि से रक्षा की, भैरव आदि से कठिनाइयों से पार पाने की, सरस्वती से विद्या के तत्त्व की, लक्ष्मी से ऐश्वर्य-वृद्धि की, पार्वती से सौभाग्य की, शची से मंगलवृद्धि की, स्कंद से संतानवृद्धि की और गणेश से सभी वस्तुओं की इच्छा (याचना) करनी चाहिए। (लौगाक्षि स्मृति)

उत्तरायण देवताओं का प्रभातकाल है। इस दिन तिल के उबटन व तिलमिश्रित जल से स्नान, तिलमिश्रित जल का पान, तिल का हवन, तिल का भोजन तथा तिल का दान – ये सभी पापनाशक प्रयोग हैं।

धनतेरस के दिन दीपक का दान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती। पक्षियों को दाना डालने वाले को मृत्यु के पहले जानकारी हो जाती है।

महर्षि पुष्कर कहते हैं- 'परशुरामजी ! प्रणव परब्रह्म है। उसका जप सभी पापों का हनन करने वाला है। नाभिपर्यन्त जल में स्थित होकर ॐकार का सौ बार जप करके अभिमंत्रित किये गये जल को जो पीता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है।'
(अग्नि पुराणः अ. 251)

जो जलाशय में स्नान नहीं कर सकते वे कटोरी में जल लेकर घर पर ही यह प्रयोग कर सकते हैं।

बाल तथा नाखून काटने के लिए बुधवार और शुक्रवार के दिन योग्य माने जाते हैं। एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, सूर्य-संक्रान्ति, शनिवार, मंगलवार, गुरुवार, व्रत तथा श्राद्ध के दिन बाल एवं नाखून नहीं काटने चाहिए, न ही दाढ़ी बनवानी चाहिए।

तुम चाहे जितनी मेहनत करो परंतु तुम्हारी नसों में जितना अधिक ओज होगा, जितनी ब्रह्मचर्य की शक्ति होगी उतना ही तुम सफल होओगे।

प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्योदय के बाद नीम व तुलसी के पाँच-पाँच पत्ते चबाकर ऊपर से थोड़ा पानी पीने से प्लेग तथा कैंसर जैसे खतरनाक रोगों से बचा जा सकता है।

सुबह खाली पेट चुटकी भर साबुत चावल (अर्थात् चावल के दाने टूटे हुए न हों) ताजे पानी के साथ निगलने से यकृत (लीवर) की तकलीफें दूर होती हैं।

केले को सुबह खाने से उसकी कीमत ताँबे जैसी, दोपहर को खाने से चाँदी जैसे और शाम खाने से सोने जैसी होती है। शारीरिक श्रम न करने वालों को केला नहीं खाना चाहिए। केला सुबह खाली पेट भी नहीं खाना चाहिए।

भोजन के बाद दो केला खाने से पतला शरीर मोटा होने लगता है।

जलनेति करने से आँख, नाक, कान और गले की लगभग 1500 प्रकार की छोटी-बड़ी बीमारियाँ दूर होती हैं।

रोज थोड़ा-सा अजवायन खिलाने से प्रसूता की भूख खुलती है, आहार पचता है, अपान वायु छूटती है, कमरदर्द दूर होता है और गर्भाशय की शुद्धि होती है।

रात का शंख में रखा हुआ पानी तोतले व्यक्ति को पिलाने से उसका तोतलापन दूर होने में आशातीत सफलता मिलती है। चार सूखी द्राक्ष रात को पानी में भिगोकर रख दें। उसे सबेरे खाने से अदभुत शक्ति मिलती है।

पश्चिम दिशा की हवा, शाम के समय की धूप स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

बालकों की निर्भयता के लिए गाय की पूँछ का उतारा करें।

ग्रीष्मकाल में एक प्याज को (ऊपर का मरा छिलका हटाकर) अपनी जेब में रखने मात्र से लू नहीं लगती।

क्रोध आये उस वक्त अपना विकृत चेहरा आईने में देखने से भी लज्जावश क्रोध भाग जायेगा।

लम्बी यात्रा शुरू करते समय बायाँ स्वर चलता हो तो शुभ है, सफलतापूर्वक यात्रा पूरी होगी व विघ्न नहीं आयेगा। छोटी मुसाफिरी के लिए दायाँ स्वर चलता हो तो शुभ माना जाता है।

व्रत-उपवास में औषधि ले सकते हैं।

सात्त्विकता और स्वास्थ्य चाहने वाले एक दूसरे से हाथ मिलाने की आदत से बचें। अभिवादन हेतु दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करना उत्तम है।

बेटी की विदाई बुधवार के दिन न करें। अन्य दिनों में विदाई करते समय एक लोटा पानी में हल्दी मिलाकर लोटे से सिर का उतारा देकर भगवन्नाम लेते हुए घर में छाँटे। इससे बेटी सुखी और खुशहाल रहेगी।

सदगुरु के सामने, आश्रम में, मंदिर में, बीमार व्यक्ति के सामने तथा श्मशान में सांसारिक बातें नहीं करनी चाहिए।

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