पूज्य बापूजी के दुर्लभ दर्शन और सुगम ज्ञान

नारायण नारायण नारायण नारायण

संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में से अनमोल सत्संग

मन में नाम तेरा रहे, मुख पे रहे सुगीत। हमको इतना दीजिए, रहे चरण में प्रीत।।

Thursday, June 20, 2013

हम भारत के लाल हैं पुस्तक से - Hum Bharat Ke Lal Hai.

पूज्य बापू जी का पुण्य संदेश - Pujya Bapuji ka Punya Sandesh

मेरे लाल ! तुम्हीं हो सच्चे विद्यार्थी... हो न !
सच्चा विद्यार्थी कौन ? जिसके मन में शांति हो, हृदय में उत्तम भावना हो, इन्द्रियाँ वश में हों, जो सत्साहित्य का सेवन करता हो और अपने हर कार्य में प्रभु को साक्षी मानता हो वही ʹसच्चा विद्यार्थीʹ है। आप भी सच्चे विद्यार्थी बनो।

दिन की शुरुआत.... सुप्रभात !
सुबह जल्दी (प्रातः 3 से 5 बजे) उठो। लेटे-लेटे शरीर को खींचो। कुछ समय बैठकर इष्टदेव, गुरुदेव का ध्यान करो। फिर शशक आसन करते हुए उन्हें नमन करो। दोनों हथेलियों के दर्शन करो। बाद में बिस्तर का त्याग करो। माता-पिता का प्रणाम करो। यशस्वी जीवन जियो।

चिरंजीवी भव !
जो आस्तिक हैं, आलस्य-प्रमाद छोड़कर सत्कार्यों में लगे रहते हैं, गुरु एवं शास्त्रों की आज्ञा शिरोधार्य करते हैं, ऐसे सदभागी बच्चे चिरंजीवी होते हैं। सत्पुरुषों का सत्संग-सान्निध्य तेजस्वी और दीर्घ जीवन जीने की कुंजी देता है।
जो झुककर बैठे, तिनके तोड़े, दाँतों से नाखून कुतरे, हाथ-मुँह जूठे रखे, अशुद्ध रहे, गाली बोले या सुने, चाय-कॉफी, पान-मसाला जैसी हल्की चीजों का सेवन करे उसका आयुष्य कम होता है।

खाना नहीं खाना, प्रसाद पाना
भोजन के समय पैर गीले होने चाहिए लेकिन सोते समय कदापि नहीं। भोजन के पूर्व इस श्लोक का उच्चारण करें-
ʹहरिर्दाता हरि र्भोक्ता हरिरन्नं प्रजापतिः। हरिः सर्वशरीरस्थो भुंक्ते भोजयते हरिः।।ʹ
फिर ʹૐ प्राणाय स्वाहा। ૐ अपानाय स्वाहा। ૐ व्यानाय स्वाहा। ૐ उदानाय स्वाहा। ૐ समानाय स्वाहाʹ। - इन मंत्रों से पंच-प्राणों को आहुतियाँ अर्पण करें। ʹगीता के 15वें अध्याय का भी पाठ करें, फिर भगवान का स्मरण करके प्रसन्नचित्त होकर भोजन करें। इससे भोजन प्रसाद बन जाता है। रात्रि का भोजन हल्का और सुपाच्य होना चाहिए।

तेजस्वी भव ! यशस्वी भव !
दूसरों के वस्त्र तथा जूते न पहनो। किसी के दिल को ठेस न पहुँचाओ। संध्या के समय तथा रात्रि को देर तक (9 बजे के बाद) न पढ़ो। प्रातः काल जल्दी उठकर थोड़ी देर ध्यान करके पढ़ना अधिक लाभदायक होता है। यशस्वी-तेजस्वी जीवन जीने की आकांक्षावालों को चाहिए कि वे आँखों तथा चारित्र्य-बल का नाश करें ऐसी वेब-साइटों, पुस्तकों, अश्लील चित्रों, फिल्मों, टीवी कार्यक्रमों, धर्मविरोधी चैनलों से दूर रहें। आपके अध्यापकों को गुस्सा दिलाये ऐसा हास्य या कृत्य मत करो। अध्यापक जो गृहकार्य दें, वह सावधान होकर एकाग्रतापूर्वक करो। जो विद्यार्थी नियमित अभ्यास करता है, निश्चिंत और निर्भय होकर पढ़ता है तथा मन इन्द्रियों को संयम में रखता है, वह अवश्य सफल होता है।

आराम से बनोगे महान
उत्तर तथा पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोनेवालों के स्वास्थ्य की हानि होती है। पूर्व तथा दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने वालों के स्वास्थ्य की रक्षा होती है। रात्रि के समय परमात्मा का स्मरण करते-करते उसी में खो और सो जाने से रात की निद्रा योगनिद्रा बन जाती है और इस प्रकार का आराम-विश्राम महानता का द्वार खोल देता है। स्वयं की मेहनत से करोड़पति बनने में समय लग सकता है किंतु करोड़पति पिता के गोद चले जाने मात्र से सहज में करोड़पति हो जाता है। उसी प्रकार एक-एक सफलता को पाने में बहुत समय लगता है परंतु जो मानव-जीवन के परम लक्ष्य को पा चुके हैं, ऐसे महापुरुषों के सत्संग-सान्निध्य में जाने से सहज में ही ढेरों सफलताएँ मिल जाती हैं।