पूज्य बापूजी के दुर्लभ दर्शन और सुगम ज्ञान

नारायण नारायण नारायण नारायण

संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में से अनमोल सत्संग

मन में नाम तेरा रहे, मुख पे रहे सुगीत। हमको इतना दीजिए, रहे चरण में प्रीत।।

Wednesday, May 19, 2010

युवा सेवा संघ मार्गदर्शिका पुस्तक से - Yuva Sewa Sangh Margdarshika pustak se

एक परिचय... - Ek Parichay...
मनुष्य जीवन की वास्तविक माँग है सुख और इस सुख को पाने के लिए आज बुद्धिजीवियों ने कितने ही वैज्ञानिक आविष्कार कर दिये परंतु इन आविष्कारों से हम साधन-सुविधाओं के गुलाम बनते गये। हर तरफ इन सुविधाओं को पाने की होड़ लगी हुई है। इन्हें पाने की चिंता में ही जीवन तनावग्रस्त हो गया है। हो भी क्यों नहीं ? क्योंकि कभी न मिटने वाले शाश्वत सुख का खजाना तो ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के सत्संग व उनकी सेवा से ही मिलता है। वर्तमान में ऐसे सदभागी कम नहीं हैं जो ऐसे महापुरुषों को पहचान कर उनसे लाभान्वित होते हैं।
पूज्य बापू जी के सत्संग से, मंत्रदीक्षा से एवं उनके दैवी कार्यों में जुड़ने से करोड़ों लोग अपने जीवन में सुख, शांति व धन्यता का अनुभव कर रहे हैं। देश-विदेश के अनगनित युवा पूज्यश्री की प्रेरणा व मार्गदर्शन से अपना जीवन तेजस्वी बना रहे हैं। चाहे शैक्षणिक क्षेत्र हो, चाहे वैज्ञानिक, चाहे संगीत का क्षेत्र हो, चाहे आध्यात्मिक या फिर व्यावहारिक जगत ही क्यों न हो, हर क्षेत्र में पूज्य श्री से जुड़ा युवावर्ग सदाचार, सहिष्णुता एवं दृढ़ आत्मविश्वास के साथ प्रगतिपथ पर आगे बढ़ रहा है।
देश विदेश के अधिकतम युवाओं को पूज्य बापू जी के दिव्य आध्यात्मिक मार्गदर्शन का लाभ दिलाने हेतु तथा आत्मोन्नति के साथ-साथ समाजसेवा का दोहरा लाभ दिलाने हेतु 'युवा सेवा संघ' सतत कार्यशील रहेगा। आज के युवाओं के लिए वह युवा संघ वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा दूरदर्शिता से परिपूर्ण भारतीय संस्कृति को समझने तथा उसके अनुसार जीवन को उन्नत बनाने की कला सीखने का माध्यम बनेगा। साथ ही युवानों के जीवन में यह एक सच्चे हितैषी मित्र एवं उत्तम मार्गदर्शक की भूमिका अदा करेगा।
इसका कार्यक्षेत्र तीन स्तरों में रहेगाः
प्रथम स्तरः केन्द्रीय युवा संघ (मुख्यालय)
द्वितीय स्तरः राज्यप्रमुख युवा संघ
तृतीय स्तरः क्षेत्रीय युवा संघ
उद्देश्य.....
युवाओं के जीवन में एक सच्चे हितैषी एवं उत्तम मार्गदर्शक मित्र की भूमिका निभाना।
संयम, सदाचार, चारित्र्यसम्पन्नता, परोपकार, निर्भयता, आत्मविश्वास आदि दैवी गुणों का युवाओं में विकास करना।
युवाओं को आश्रम द्वारा संचालित विभिन्न सेवाकार्यों में जोड़कर राष्ट्रोन्नति के कार्य में सक्रिय योगदान देना।
युवाओं को परिवार, समाज एवं राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार, कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाना।
भारतीय संस्कृति के सिद्धान्तों का अध्ययन करने के बाद उनकी वैज्ञानिकता व तर्कसम्मतता को देखकर आधुनिक वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हो रहे हैं। ऐसी महामयी भारतीय संस्कृति को समझने-समझाने में तथा उसके प्रचार-प्रसार में सहयोगी बनना।
'युवा सेवा संघ' के माध्यम से निष्काम सेवा करते हुए मनुष्य जीवन के परम लक्ष्य ईश्वरप्राप्ति की ओर अग्रसर होना।
विशेषताएँ....
पूज्यबापू जी से मंत्रदीक्षित युवाओं द्वारा युवा संघ का संचालन।
जीवन की कठिनाइयों का धैर्य एवं निडरता से सामना करने की क्षमता का विकास।
युवावर्ग के लिए हितकारी पूज्य बापू जी के सत्संग प्रवचनों तथा अन्य महापुरुषों के उपदेशों का संकलन प्रदान करना।
युवा उत्थान शिविर, युवाओं के सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न सेवा अभियान, जिज्ञासु युवाओं को विशेष मार्गदर्शन।
'संस्कार सभा' के माध्यम से युवकों में छुपी प्रतिभा का विकास।
अपने जीवन को उन्नत बनाने के इच्छुक युवक, जिन्हें पूज्य बापू जी से मंत्रदीक्षा नहीं मिली हो, वे 'संस्कार सभा' के माध्यम से लाभान्वित होकर 'क्षेत्रिय युवा सेवा संघ' से जुड़ सकते हैं।
केन्द्रीय युवा संघ (मुख्यालय).....
युवा सेवा संघ का मुख्यालय 'केन्द्रीय युवा सेवा संघ' के नाम से जाना जायेगा। विश्व भर में युवा सेवा संघ की गतिविधियों का संचालन युवा सेवा संघ मुख्यालय, अखिल भारतीय श्री योग वेदान्त सेवा समिति, संत श्री आसाराम जी आश्रम, अमदावाद से होगा।
राज्यप्रमुख युवा संघ....
राज्य के सभी क्षेत्रीय युवा संघों में से किसी एक क्षेत्रीय युवा सेवा संघ को 'राज्यप्रमुख युवा संघ' के रूप में घोषित किया जायेगा, जिसका चयन केन्द्रीय युवा संघ करेगा। चयन प्रणाली आगे दी है। राज्यप्रमुख युवा संघ का नाम इस प्रकार रहेगा। जैसेः उत्तरप्रदेश युवा संघ।
क्षेत्रीय युवा संघ.....
केन्द्रीय युवा संघ की सदस्यता (Membership) प्राप्त किये हुए युवकों द्वारा देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में 'केन्द्रीय युवा संघ' के निर्देशानुसार जिन युवा सेवा संघों का संचालन होगा, उन्हें 'क्षेत्रीय युवा संघ' कहेंगे। क्षेत्रीय युवा संघ के नाम ग्राम/शहर के नाम पर रहेंगे। जैसेः युवा सेवा संघ भोपाल।
क्षेत्रीय युवा सेवा संघ का गठन कैसे करें ?
जिन साधक भाइयों ने पूज्य श्री से मंत्रदीक्षा ली हो, वे साधक भाई आपस में एकत्रित होकर स्थान, समय निश्चित करके दो तीन बैठक कर लें, जिससे सभी आपस में एक दूसरे का परिचय प्राप्त कर सके। दूसरी/तीसरी बैठक के अन्त में मुख्यालय को फोन करके मार्गदर्शन प्राप्त करें व मुख्यालय के निर्दशानुसार कार्यकारिणी का गठन करें। इस मार्गदर्शिका का ध्यानपूर्वक अध्ययन करके सर्वसम्मति से कार्यकारिणी के सभासदों का चयन करें। चयन के पश्चात् सभी सभासद स्थानीय श्री योग वेदान्त सेवा समिति से विचार-विमर्श करके मार्गदर्शिका की प्रति स्थानीय समिति व स्थानीय आश्रम-संचालक को दें।
तत्पश्चात् इस मार्गदर्शिका के अंत में दिया गया 'संघ आवेदन पत्र' भरें। समिति द्वार मार्गदर्शिका का पूर्ण अध्ययन करने पर उनसे 'समिति सहकार पत्र' भरवायें। यह 'संघ आवेदन पत्र' फैक्स या ई-मेल द्वारा मुख्यालय में भेजें। उसके बाद सभी 'संस्कार सभा' शुरू करने हेतु इस मार्गदर्शिका में दिये गये 'संस्कार सभा' प्रकरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा सभा शुरु होने पर नियमित रूप से सभा का स्वयं भी लाभ लें व औरों को भी दिलायें।
आपके भेजे हुए 'संघ आवेदन पत्र' की जाँच के उपरान्त अमदावाद मुख्यालय द्वारा आपके क्षेत्रीय युवा संघ को 'संघ कोड नं.' प्राप्त होगा।

'युवा सेवा संघ' की सेवा प्रणाली
पूज्य बापू जी की पावन प्रेरणा से शुरू हुए युवा सेवा संघ की उद्देश्यपूर्ति हेतु यहाँ दी जा रही सेवाप्रणाली एक मुख्य साधन है। इस सेवाप्रणाली के माध्यम से युवा सेवा संघ का हरेक सदस्य सहज में ही अपनी योग्यता और प्रतिभा का अधिक-से-अधिक विकास कर सकता है। इस सेवाप्रणाली में मुख्यरूप से समाज-उपयोगी गतिविधियों को दर्शाया गया है। इसके अलावा युवा संघ सदस्य अपने क्षेत्र अनुसार अन्य सेवाओं को खोजकर 'युवा सेवा संघ' के सभी नियमों का पालन करते हुए उन्हें कर सकते हैं।
संस्कार सभा सेवाः
युवा सेवा संघ के सदस्य 'संस्कार सभा' का स्वयं लाभ लेते हुए अन्य युवकों को उसके माध्यम से होने वाले लाभ से परिचित करायें। आपके क्षेत्र (ग्राम/शहर) का विस्तार अधिक हो तो सुविधानुसार उसे 4-5 विभागों (Zone) में विभाजित करके 4-5 संस्कार सभा चलायें। सभी संस्कार सभाओं का संचालन 'क्षेत्रीय युवा संघ' के माध्यम से होगा। क्षेत्रीय युवा संघ के द्वारा होने वाले सभी सेवाकार्यों में संस्कार सभा का प्रचार-प्रसार अवश्य करें, जिससे अधिक-से-अधिक युवा लाभान्वित हो सकें।
ग्रन्थालय सेवाः
संस्कार सभा का लाभ लेने वाले सभी युवकों के लिए क्षेत्रीय युवा संघ ग्रंथालय शुरू करें। उसमें युवाओं के लिए उपयोगी आश्रम द्वारा प्रकाशित सत्साहित्य तथा ऑडियो कैसेट, वीसीडी, एमपी थ्री व डीवीडी के साथ ही आध्यात्मिक व भारतीय संस्कृति की दिव्यता दर्शाने वाले साहित्य, ग्रंथ आदि रखें। आश्रम से प्रकाशित ऋषि प्रसाद व लोक कल्याण सेतु के अधिक-से-अधिक अंकों का संग्रह रखें। इस ग्रन्थालय की सामग्री का संस्कार सभा के युवक स्वयं भी लाभ उठायें व उन युवकों द्वारा औरों को भी लाभ मिले, इसका विशेष ध्यान रखें।
तेजस्वी युवा अभियानः
इस अभियान के माध्यम से युवाओं को तेजस्वी बनाने के साथ-साथ हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के रहस्यों से अवगत कराया जायेगा। यह अभियान हाई स्कूल व कॉलेजों में जाकर करें।
हाई स्कूल, कालेजों में जाकर वहाँ के प्रिंसीपल/प्रबंधक से मिलकर उन्हें इस अभियान का महत्त्व व रूपरेखा बतायें तथा अभियान का दिन व समय निश्चित कर लें।
अभियान की रूपरेखाः
युवा संघ के सदस्य हाईस्कूल व कॉलेजों में जाकर प्रिंसीपल/प्रबंधक की अनुमति से एक स्थान निश्चित कर लें, जहाँ पर आश्रम द्वारा निर्मित बाल संस्कार प्रदर्शनी के चार्ट नं, 19, 21 से 23, 31 से 36, 43 से 50 लगायें। साथ में क्षेत्रीय युवा संघ द्वारा प्रति सप्ताह चलायी जाने वाली 'संस्कार सभा' का स्थान, समय व विशेषता दर्शाने वाला बैनर लगायें। इस प्रदर्शनी का अवलोकन वहाँ के विद्यार्थी प्रिंसीपल/प्रबंधक की अनुमति के अनुसार करें। विद्यार्थियों द्वारा अवलोकन करने से पहले या बाद में उन्हें एक साथ बिठाकर 10 मिनट का वक्तव्य दें। यह सेवा उस सदस्य को सौंपें जिसकी आवाज स्पष्ट व प्रभावशाली हो अथवा वक्तृत्वशैली उत्तम हो। वक्तव्य में सर्वप्रथम 'दिव्य प्रेरणा-प्रकाश' पुस्तक में दिया गया पूज्य बापू जी का संदेश बतायें। तत्पश्चात् दिव्य प्रेरणा प्रकाश व नशे से सावधान साहित्य का महत्त्व तथा उसके पठने से होने वाले लाभ बतायें। अपने जीवन को उन्नत बनाने के इच्छुक युवा विद्यार्थियों को क्षेत्र में चलने वाली संस्कार सभा में निशुल्क प्रवेश की जानकारी देकर उसका लाभ लेने हेतु आमंत्रित करें।
विद्यार्थियों को उपरोक्त साहित्य प्राप्त कराने की योजना प्रिंसीपल/प्रबंधक से विचार विमर्श करके बनायें। जैसे-
हाई स्कूल, कॉलेज के प्रांगण में अस्थायी साहित्य-स्टॉल लगाकर शुल्क लेकर साहित्य वितरण करें। साहित्य लेने में असक्षम विद्यार्थियों को युवा संघ अपनी सुविधानुसार निःशुल्क वितरण कर सकता है।
विद्यार्थियों की कक्षा में ही शुल्कसहित साहित्य वितरण करें।
व्यसन मुक्ति अभियानः
तेजस्वी युवा अभियान की तरह ही इस अभियान की पूर्वतैयारी कर लें। स्थान, समय निश्चित करके टी.वी./प्रोजेक्टर आदि के द्वारा आश्रम की व्यसनों से सावधान व प्रेरणा ज्योत (प्रथम 20 मिनट) वीसीडी दिखायें। फिर सभी उपस्थित लोगों से संकल्प करवायें कि 'आज से हम सभी प्रकार के व्यसनों से स्वयं भी बचेंगे व औरों को भी व्यसनों के दुष्परिणामों से अवगत करायेंगे। अंत में नशे से सावधान पुस्तक शुल्क लेकर अथवा निःशुल्क वितरण करें या दिव्य प्रेरणा प्रकाश पुस्तक खरीदने पर नशे से सावधान भेंट में दें (युवा संघ की सुविधा अनुसार)।
सार्वजनिक स्थानों में, सार्वजनिक उत्सवों में (जैसे – गणेश-उत्सव, नवरात्रि आदि उत्सव आदि) सम्बंधित मुख्य व्यक्तियों से पूर्वानुमति लेकर उपरोक्त दोनों अभियान कर सकते हैं।
नोटः तेजस्वी युवा अभियान व व्यसन मुक्ति अभियान संयुक्तरूप से भी कर सकते हैं।
जीवन विकास अभियानः
इस अभियान के माध्यम से युवा संघ के सदस्य अपनी शैक्षणिक व व्यावहारिक योग्यता का बहुजनहिताय, बहुजनसुखाय उपयोग करें। जैसेः
यदि कोई सदस्य डॉक्टर है तो उसके सहयोग से क्षेत्रीय युवा संघ गरीब, पिछड़े इलाकों में, आदिवासी क्षेत्रों में निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगायें। कोई क्षेत्र पिछड़ा हो तो वहाँ के लोगों को इकट्ठा करके उन्हें सफाई का महत्त्व, स्वास्थ्य के घरेलू उपाय, भगवन्नाम-महिमा आदि बताकर उनकी जीवनशैली सुधारने हेतु प्रेरित करें। साथ ही टी.वी./प्रोजेक्टर के माध्यम से उन्हें पूज्य श्री के सत्संग का लाभ दिलायें।
यदि कोई सदस्य शिक्षक है तो वह अपने घर पर तथा स्कूल में बाल संस्कार केन्द्र अवश्य चलायें। साथ ही अपने सम्पर्क में आने वाले साधकों को बाल संस्कार केन्द्र चलाने हेतु प्रेरित करें। इसकी विस्तृत जानकारी हेतु बाल संस्कार मुख्यालय, अमदावाद से सम्पर्क करें।
यदि कोई सदस्य आश्रम से प्रकाशित ऋषि प्रसाद या लोक कल्याण सेतु मासिक पत्रिका का सेवाधारी हो तो वह साधकों से पुराने अंक एकत्रित करके युवा संघ के माध्यम से उत्साही व जिज्ञासु जनसाधारण में निःशुल्क वितरण करे। ऋषि प्रसाद व लोक कल्याण सेतु पत्रिकाओं से समाज का हरेक वर्ग अधिक-से-अधिक लाभान्वित हो, इसका क्षेत्रीय युवा संघ विशेष ध्यान रखें। पत्रिकाओं के प्रचार-प्रसार हेतु सम्बन्धित अमदावाद मुख्यालय से सम्पर्क करें।
मातृ-पितृ पूजन दिवसः
बाल एवं युवा वर्ग के विशेष उत्थान को ध्यान में रखकर पूज्य बापू जी ने 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन पर्व मनाने की नींव डाली है। इस मंगल पर्व का लाभ सम्पूर्ण समाज को मिल सके, इस हेतु युवा संघ के सदस्य 15-20 दिन पूर्व से ही इसका खूब प्रचार-प्रसार करें। इस पर्व में बेटे बेटियाँ अपने माता-पिता का पूजन करके उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। इस पर्व का आयोजन विशेषरूप से स्कूलों-कॉलेजों में करें। इसके प्रचार-प्रसार एवं आयोजन की जानकारी के लिए युवा सेवा संघ मुख्यालय से सम्पर्क करें।
युवाओं हेतु विशेष शिविर सेवाः पूज्य बापू जी के पावन सान्निध्य में समय-समय पर आयोजित होने वाले 'युवा उत्थान शिविर' 'विद्यार्थी तेजस्वी तालीम शिविर' आदि शिविरों का अधिक से अधिक युवा विद्यार्थी लाभ लें, इस हेतु क्षेत्रीय युवा संघ अपने क्षेत्र के युवाओं को प्रेरित करें तथा सुनियोजित व अनुशासित प्रणाली बनाकर उन्हें शिविर में ले आयें। क्षेत्रीय युवा संघ ऐसे शिविरों में मुख्यालय द्वारा प्राप्त निर्देशानुसार अपनी सेवाएँ निश्चित कर लें।
अनाथालय, वृद्धाश्रम आदि में सहायः
ऐसी जगहों पर पूज्यश्री के उनसे सम्बन्धित विषयों के सत्संग दिखायें, सत्साहित्य बाँटे। वहाँ के व्यस्थापक से मिलकर उन्हें ऋषि प्रसाद व लोक कल्याण सेतु मासिक पत्रिका का सदस्य बनायें, ताकि प्रतिमाह वहाँ के सभी लोगों को पूज्य श्री के अमृतवचनों का लाभ मिल सके। साथ ही व्यवस्थापक से कहके वहाँ पर आश्रम के सत्साहित्य में ऑडियो-वीडियो सीडी आदि का सेट भी रखवा सकते हैं।
वृक्षारोपण सेवाः
अपने घर के आस-पास, सड़क के किनारे तथा अन्य आवश्यक जगहों पर सम्बन्धित व्यक्तियों से अनुमति लेकर वृक्षारोपण सेवा करें। पूज्य बापू जी ने सत्संग में पीपल व तुलसी की खूब महिमा बतायी है, साथ ही नीलगिरी (सफेदा) के पेड़ के नुक्सान भी बताये हैं। इस सेवा के माध्यम से पूज्य श्री का यह मौलिक संदेश समाज में पहुँचाकर उसे लाभदायक वृक्षों के प्रति जागरूक करें। वृक्षारोपण में विशेषतः तुलसी, पीपल, नीम, आँवला, बड़, आम आदि पौधों का उपयोग करें।
क्षेत्रीय युवा संघ स्थानीय समिति/स्थानीय आश्रम द्वारा मानव-उत्थान हेतु चलाये जा रहे सेवाकार्यों में युवा संघ से जुड़े सभी युवानों को सहभागी बनाकर पूज्य बापू जी के इन दैवी कार्यों को तीव्र गति से आगे बढ़ायें।

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